বৈশাখ মাসে বুদ্ধপূর্ণিমা পালিত হয়। এই দিনে ভগবান বুদ্ধের জন্ম হয়েছিল বলে মনে করা হয়। তাই বুদ্ধপূর্ণিমার দিনটিকে খুবই শুভ বলে মনে করা হয়। সব মিলিয়ে বৌদ্ধ ধর্মাবিলম্বী এবং সমগ্র হিন্দু ধর্মাবিলম্বীদের কাছে এই তিথি অতি পূণ্যের এক তিথি। আগামী সোমবার, অর্থাৎ ১৬ মে বুদ্ধপূর্ণিমা। এবার পঞ্জিকা মতে দিনটির নির্ঘণ্ট দেখে নেওয়া যাক।
বিশুদ্ধ সিদ্ধান্ত পঞ্জিকা মতে:
পূর্ণিমা তিথি শুরু
বাংলা ক্যালেন্ডারে: ৩১ বৈশাখ, রবিবার।
ইংরেজি ক্যালেন্ডারে: ১৫ মে, রবিবার।
সময়: দুপুর ১২টা ৪৭ মিনিট।
পূর্ণিমা তিথি শেষ
বাংলা ক্যালেন্ডারে: ১ জ্যৈষ্ঠ, সোমবার।
ইংরেজি ক্যালেন্ডারে: ১৬ মে, সোমবার।
সময়: সকাল ৯টা ৪৪ মিনিট।
গুপ্তপ্রেস পঞ্জিকা মতে:
পূর্ণিমা তিথি শুরু
বাংলা ক্যালেন্ডারে: ৩১ বৈশাখ, রবিবার।
ইংরেজি ক্যালেন্ডারে: ১৫ মে, রবিবার।
সময়: ১১টা ৫১ মিনিট ৩১ সেকেন্ড।
পূর্ণিমা তিথি শেষ
বাংলা ক্যালেন্ডারে: ১ জ্যৈষ্ঠ, সোমবার।
ইংরেজি ক্যালেন্ডারে: ১৬ মে, সোমবার।
সময়: ৯টা ৫৮ মিনিট ৩৫ সেকেন্ড।
Hindi—
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 16 मई सोमवार के दिन पड़ रही है। बुद्ध पूर्णिमा वैशाख की पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के जन्म दिवस व निर्वाण दिवस के रूप में पूरे विश्व में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। भगवान बुद्ध सिद्धार्थ गौतम के रूप में लुंबिनी मे (कपिलवस्तु के निकट) एक राजसी परिवार में जन्म लिया। एक कथा अनुसार गौतम बुद्ध के जन्म उपरांत एक असिता नामक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की, कि यह बालक बड़े होकर एक बड़ा धर्म गुरु बन सबको सत्य की राह दिखायेगा।
29 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध ने अपना राज्य त्याग कर, वैराग्य व आध्यात्मिकता का मार्ग चुना। कई वर्षों तक कई स्थानों में घूमे और 25 वर्ष की आयु में बोधगया में एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान साधना की।
कब मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा
साल 2022 में 16 मई दिन सोमवार को वैशाख माह की पूर्णिमा है. इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म उत्सव मनाया जाएगा. वहीं बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 16 मई को 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
पीपल वृक्ष है महत्वपूर्ण
पीपल का वृक्ष 24 घंटे शुद्ध ऑक्सीजन का स्रोत होता है। साथ ही व्यक्ति में मानसिक स्थिरता लाने का काम भी करता है। हमें हमारे शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से हमें बचाता है। लगभग 40 दिनों की साधना के पश्चात उन्हें निर्वाण , स्थायीता की स्थिति प्राप्त हुई।
ये हैं मान्यता
उत्तर भारत में यह मान्यता है कि महात्मा बुद्ध, भगवान विष्णु के नवे अवतार हैं किंतु दक्षिण भारत में बलराम को विष्णु का नवा अवतार मानते हैं। इस दिन गौतम बुद्ध के अनुयायी गंगा स्नान कर सफेद वस्त्र धारण कर दान पुण्य का लाभ उठाते हैं। सफेद रंग शुद्धता व सत्यता का प्रतीक है। श्वेत वस्त्र धारण करने वाले व्यक्ति का मन शांत व निर्मल रहता है।
ये करें उपाय
बुद्ध पूर्णिमा के दिन खीर का वितरण करना शुभ मानते हैं। चावल एवं मेवे से बनी खीर वितरित करने से मन को शांति व बल प्राप्त होता है। हमारे जीवन में संतुलन व समरसता का भाव विकसित होता है ।
मंदिरों में दीप धूप जलाए जाते हैं। धूप व अगरबत्ती जलाने से वातावरण की शुद्धि होती है। नकारात्मक उर्जा का शमन होकर मैत्रीभाव की उत्पत्ति होती है। शुद्ध घी का दीपक जलाने से शुक्र ग्रह शुद्ध होकर ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
कई बुद्ध मंदिरों में मोमबत्ती जलाने का चलन है। मोमबत्ती जलाने से हमारे केतु ग्रह शुद्ध होते हैं। मन का भटकाव, घबराहट, गलत सलाहकार, गलतफहमी आदि से मुक्ति मिलती है। आजकल बाज़ार में अनेकों अरोमा कैंडल्स उपलब्ध हैं। हर सुगंध की अपनी उपचारिक क्षमता व चिकित्सा गुण होते हैं। विशेषज्ञ की निगरानी में इन मोमबत्तियों को जलाने से उचित लाभ मिलता है। शुभ दिन शुभ कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
इस दिन गरीबों व असमर्थ लोगों को जरूरत की वस्तुएं दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। श्वेत रंग के वस्त्र वितरण करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व है। पवित्र नदियों में सूर्योदय के समय स्नान करने से व्यक्ति की आंतरिक जैविक विद्युत का प्रवाह होता है। जिससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है। सूर्य की किरणों से मिली ऊर्जा से श्वेत रक्त कणिका बेहतर रूप से कार्यरत होती है। यह उर्जा हमारी ग्रंथियों को पुनः जागृत कर हारमोंस का प्रवाह को संतुलित करती हैं।
बुद्ध पूर्णिमा आत्मशोधन का शुभ पर्व है। भगवान बुद्ध की जीवनी का अध्ययन कर अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करते हैं। मंत्रोच्चारण कर मस्तिष्क का शोधन करें।